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બુધવાર, 4 ડિસેમ્બર, 2013

कम मूल्य की वस्तु का अधिक मूल्य वसूल करना ही व्यापार हे


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एक आइसक्रीम वाला रोज एक मोहल्ले में आइसक्रीम बेचने जाया करता था , उस कालोनी में सारे पैसे वाले लोग रहा करते थे . लेकिन वह एक परिवार ऐसा भी था जो आर्थिक तंगी से गुजर रहा था. उनका एक चार साल का बेटा था जो हर दिन खिड़की से उस आइसक्रीम वाले को ललचाई नजरो से देखा करता था. आइसक्रीम वाला भी उसे पहचानने लगा था . लेकिन कभी वो लड़का घर से बाहर नहीं आया आइसक्रीम खाने .
एक दिन उस आइसक्रीम वाले का मन नहीं माना तो वो खिड़की के पास जाकर उस बच्चे से बोला ,
" बेटा क्या आपको आइसक्रीम अच्छी नहीं लगती. आप कभी मेरी आइसक्रीम नहीं खरीदते ? "
उस चार साल के बच्चे ने बड़ी मासूमियत के साथ कहा ,
" मुझे आइसक्रीम बहुत पसंद हे . पर माँ के पास पैसे नहीं हे "
उस आइसक्रीम वाले को यह सूनकर उस बच्चे पर बड़ा प्यार आया . उसने कहा ,
" बेटा तुम मुझसे रोज आइसक्रीम ले लिया करो. मुझसे तुमसे पैसे नहीं चाहिए "
वो बच्चा बहुत समझदार निकला . बहुत सहज भाव से बोला ,
" नहीं ले सकता , माँ ने कहा हे किसी से मुफ्त में कुछ लेना गन्दी बात होती हे , इसलिए में कुछ दिए बिना आइसक्रीम नहीं ले सकता "
वो आइसक्रीम वाला बच्चे के मुह से इतनी गहरी बात सूनकर आश्चर्यचकित रह गया . फिर उसने कहा ,
" तुम मुझे आइसक्रीम के बदले में रोज एक पप्पी दे दिया करो . इस तरह मुझे आइसक्रीम की कीमत मिल जाया करेगी "
बच्चा ये सुकर बहुत खुश हुआ वो दौड़कर घर से बाहर आया . आइसक्रीम वाले ने उसे एक आइसक्रीम दी और बदले में उस बच्चे ने उस आइसक्रीम वाले के गालो पर एक पप्पी दी और खुश होकर घर के अन्दर भाग गया .
अब तो रोज का यही सिलसिला हो गया. वो आइसक्रीम वाला रोज आता और एक पप्पी के बदले उस बच्चे को आइसक्रीम दे जाता .
करीब एक महीने तक यही चलता रहा . लेकिन उसके बाद उस बच्चे ने अचानक से आना बंद कर दिया . अब वो खिड़की पर भी नजर नहीं आता था .
जब कुछ दिन हो गए तो आइसक्रीम वाले का मन नहीं मन और वो उस घर पर पहुच गया . दरवाजा उस बालक की माँ ने खोला . आइसक्रीम वाले ने उत्सुकता से उस बच्चे के बारे में पूछा तो उसकी माँ ने कहा ,
" देखिये भाई साहब हम गरीब लोग हे . हमारे पास इतना पैसा नहीं के अपने बच्चे को रोज आइसक्रीम खिला सके . आप उसे रोज मुफ्त में आइसक्रीम खिलाते रहे. जिस दिन मुझे ये बात पता चली तो मुझे बहुत शर्मिंदगी हुई .आप एक अच्छे इंसान हे लेकिन में अपने बेटे को मुफ्त में आइसक्रीम खाने नहीं दे सकती . "
बच्चे की माँ की बाते सूनकर उस आइसक्रीम वाले ने जो उत्तर दिया वो आप सब के लिए सोचने का कारण बन सकता हे ,
" बहनजी , कौन कहता हे की में उसे मुफ्त में आइसक्रीम खिलाता था . में इतना दयालु या उपकार करने वाला नहीं हु में व्यापार करता हु . और आपके बेटे से जो मुझे मिला वो उस आइसक्रीम की कीमत से कही अधिक मूल्यवान था . और कम मूल्य की वस्तु का अधिक मूल्य वसूल करना ही व्यापार हे ,
एक बच्चे का निश्छल प्रेम पा लेना सोने चांदी के सिक्के पा लेने से कही अधिक मूल्यवान हे . आपने अपने बेटे को बहुत अच्छे संस्कार दिए हे लेकिन में आपसे पूछता हु क्या प्रेम का कोई मूल्य नहीं होता ?"
उस आइसक्रीम वाले के अर्थपूर्ण शब्द सूनकर बालक की माँ की आँखे भीग गयी उन्होंने बालक को पुकारा तो वो दौड़कर आ गया . माँ का इशारा पाते ही बालक दौड़कर आइसक्रीम वाले से लिपट गया . आइसक्रीम वाले ने बालक को गोद में उठा लिया और बाहर जाते हुए कहने लगा ,
" तुम्हारे लिए आज चोकलेट आइसक्रीम लाया हु . तुझे बहुत पसंद हे न ?"
बच्चा उत्साह से बोला ,
" हां बहुत "
बालक की माँ ख़ुशी से रो पड़ती है
(આપના પ્રતિભાવો આવકાર્ય છે...)
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Gujarat nu Gaurav By Nandani Vijay
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